आपने लोगो को कहते सुना ही होगा की जोड़ी हो तो शिव पारवती जैसी। हिंदुत्व में शिव पारवती सफल पति पत्नी का प्रतिक है ।
पर कभी कभी मैं सोचता हु ऐसा क्यों ।
इसका उत्तर मुझे विज्ञान से मिला।
आपने वह तस्वीर तो देखि ही होगी जिसमे शिव का दाया शारीर और पारवती का बाया शारीर मिल कर एक शारीर बनता है।
यही है मेरा उत्तर।
विज्ञानं कहता है की मनुष्य के दो दिमाग होते है पर एक दुसरे से जुड़े हुए।
जिस तरफ के दिमाग का प्रभुत्व ज्यादा हो उसी के आधार पर मनुष्य का चरित्र तय होता है।
दाया दिमाग कला,साहित्य के लिए होता है। इस दिमाग के प्रभुत्व वाले आदमी को समाज का ज्यादा भय नहीं होता।वह बेखोफ होता है ।जैसे भगवन शिव ।वे प्रेतों के साथ रहते है और मानव समाज के अनुसार नहीं रहते नाही दुसरे देवताओ की तरह सज धज के।
अब बाया दिमाग गणित या विज्ञानं के लिए होता है।
इस दिमाग के प्रभुत्व वाले मनुष्य समाज अदि के अनुसार जीते है। यदि आप उन्हें कुछ बताये तो वे पहले सोच विचार के ही उसे मानेंगे।
बाया दिमाग पारवती को दर्शाता है ।पारवती शिव से उलट ज्यादा सामाजिक है। वे एक पतिव्रता स्त्री है और हर कार्य में निपूर्ण है। घर घ्राहस्ती भली बहती सभाल सकती है।
यदि आप निचे दिए गए चित्र को देखे तो शिव दाए ओर है और पारवती बाए ओर।
यदि विवाह हो रहा हो तो युवक हमेशा दाए दिमाग का हो और युवती बाए दिमाग के प्रभुत्व वाली। यही जोड़ी सर्वोतम है।
चलिए आपको आसन भाषा में समझाता हु।
यदि दो चुम्बक हो और आप उन दोनों का उत्तरी भाग या दक्षिणी भाग मिलाये तो वे एक दुसरे को धकेल देंगे।
यदि आप उत्तरी भाग और दक्षिणी भाग मिलाये तो जुड़ जायेंगे।
यही सिधांत यहाँ भी लागु होता है।
पति हमेशा दाए दिमाग का या शिव जैसा इसीलिए होना चाहिए क्युकी ऐसा व्यक्ति समाज की कभी नहीं सोचता। यदि उसकी पत्नी से गलती हो जाये और पूरा समाज ही उसके किलाफ़ हो जाये तो अगर पति को लगता है नहीं मेरी पत्नी ने कोई गुनाह नहीं किया तो वह पुरे समाज के विरुद्ध खड़े होने की ताकत रखता है अपनी पत्नी के लिए।
पत्नी बाए दिमाग या पारवती जैसी इसीलिए हो ताकि वो अपना हर कर्त्तव्य निभाए।
अब देखिये ,भगवन राम को हमेशा मर्यादा पुरसोत्तम कहा गया पर उनकी शादी ज्यादा देर न टिक सकी |
इसका कारण यह की श्री राम भी मर्यादा में रहते और माता सीता था |
अब एक जैसे व्यक्ति कहा टिक सकते है |
इसीलिए तो एक धोबी के कहने पर शररे राम ने माता सीता को छोड़ दिया |
यह असल में उस लीलाधर की ही लीला थी तक वे मानव को बता सके की पति चाहे जैसे भी हो पर भगवन शिव की तरह और समाज की न मानने वाला हो बिलकुल भगवन शिव की तरह |
आज केवल कुछ दिन साथ गुजारने और अपनी बाते मिल जाने भर से ही विवाह होने लगे है पर सब टिक नहीं पाते ,इसका यह कारण नहीं की माँ बाप की पसंद के बिना शादी करने पर ऐसा होता है इसका अर्थ है की अति और पत्नी एक दुसरे को समझ नहीं पाते |
पति पत्नी का रिश्ता तभी सफल होता है जब वे एक दुसरे को समझे .इसमें दोनों का चरित्र बड़ा काम निभाता है पर इससे ये साबित नहीं होता की केवल चरित्र से ही शादिय टिकती है ,इसके लिए जरुरी है की पति अपती एक दुसरे को समझे जैसे शिव और पारवती |
अर्धनारेश्वर |
Note :(यह ज्ञान मुझे मेरे गुरु श्री रामचंद्र नन्द द्वारा दिया गया है और यह उन्ही की खोज है।)