By Dev (CO-WRITER)
आदिवासी उन्हें कहा जाता है जो आदिकालीन ज़माने की तरह रहते थे। भारत में आज भी आदिवासी है बहोत से जंगले में रहते है और बहोत से नगरो ,छोटे शहरों में बस गए है ।
यदि वेद का अध्यन करे तो कई आदिवासी कबीलों को क्षत्रिय मन गया है।
यदि असज देखे तो राजनीती और वोट हेतु इन्हें निचली जात का बताया जाता है और वोट पाया जाता है।
आर्य आक्रमण की थ्योरी के अनुसार आदिवासी भारत के असली मूलनिवासी है साथ ही दलित भी इन्ही के साथ है। पर ये सरासर झूठ है।
रामायण और महाभारत में भील आदि को क्षत्रिय कहा गया है।
गोंड के राजवंश ने मध्यप्रदेश में राज भी किया है।
इन्हें हमसे अलग करती है इनका रहन सहन क्युकी ये विकशित आर्यों के उलट अपनी परंपरा के अनुसार रहना चाहते है।
यदि धर्म देखा जाये तो कई हिन्दू है ,कई मुस्लिम और इसाई पर पहले ये हिन्दू थे।
इस बात को भी नकार दिया जाता है क्युकी आदिवासी अपने पूर्वज और पदों की पूजा करते है।
यदि देखे तो वेदो में अपने पूर्वज और पेड़ो की पूजा को सम्मानित स्थान है ।साथ ही आज भी कई आदिवासी भगवन शिव और नाग की पूजा करते है।
DNA शोध से पता चला है की आदिवासी भी भारतीय है ब्राह्मण या शुद्र के ही परिवार से।
यदि वेदों में देखे तो हमें ये भी पता चलता है की आदिवासी और हम एक ही है। वो इस कदर है की जब मानव धरती पर फ़ैल गए तो उन्होंने सर्वप्रथम अपने अपने काबिले बनाये। धीरे धीरे ये छोटे छोटे काबिले बड़े हो बड़े काबिले बने फिर राज्य बन गए।
कुछ काबिले ही रहे।
इसका प्रमाण दसराजन युद्ध में है। इस युद्ध में राजाओं के साथ कई कबीलों के सरदार भी थे।
Aarya videshi hai
ReplyDeletehahaha 1920 ka joke
Deleteabhi haal hi me DNA se sabit ho gaya ki arya isi desh ke ke hai
report dikhau ?
tere paas 1920 ka hoga aur mere pas 2012 ka
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हाँ हम हिन्दू हैं।
Deleteगोंड जनजातीय राजाओं ने दीर्घकाल तक राज्य किया उसमें तीन राज्य प्रसिद्ध हैं।
1- देवगढ़ का गोंड राज्य ।
2- चंद्रपुर का गोंड राज्य ।
3- गढ़ा मंडला का गोंड राज्य ।
देवगढ़ के गोंड राजाओं की वंशावली का प्रारंभ पांडवों से होता है । वह विचित्रवीर्य को प्रथम राजा मानते हैं । उनके 54 वंशज वीरभान शाह के पुत्र पराक्रमी जटबा थे । राजा जटबा के पुत्र राजा कोकशहा थे। कोकशहा भी प्रतापी राजा थे। उन्होंने तांबे के सिक्के चलाए। उस पर लिखा है-
"शिव भक्त श्री महाराज जटबा के पुत्र श्री महाराजा कोकशाही महीपत राय" ।
देवगढ़ स्थित काली मंदिर में धार्मिक विधियां होती थीं। जैसे -
1- बच्चों का मुंडन करना ।
2- शादी के समय हल्दी लगाने का कार्यक्रम।
3- विवाह के बाद वर - वधू ने काली माता के दर्शन करने के लिए जाना ।
4- विजयादशमी के दिन चंडी देवी की विशेष पूजा करना। 5- चैत्र पूर्णिमा के दिन यात्रा के निमित्त काली माता मंदिर जाना । यह हिंदू होने के ही सबूत हैं।
चांदा गढ़ के गोंड राजाओं ने भी अनेक मंदिर बनवाये,जो आज भी चंद्रपुर तथा आस-पास के क्षेत्र में विद्वान हैं। चंद्रपुर स्थित महाकाली मंदिर, अचलेश्वर महादेव मंदिर, दुर्गा मंदिर, मुरलीधर मंदिर यही दर्शाते हैं की सभी गोंड राजे स्वयं को हिंदू ही मानते थे ।
उस कालखंड में एनिमिस्ट,अवॉरिजन्स,आदिवासी, मूलनिवासी ,आदि शब्दों का प्रचलन नहीं था।
इन शब्दों की रचना अंग्रेजों द्वारा षडयंत्रपूर्वक गोंड जनजाति को शेष हिंदू समाज से अलग करने के लिए 1921 से प्रारम्भ की। इन्हीं शब्दों को लेकर आज मिशनरी दलालों द्वारा गोंड समाज को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
गढ़ा मंडला के गोंड राजाओं ने संस्कृत एवं संगीत का संवर्धन किया । अनेक संस्कृत पंडितों को राजाश्रय दिया। फल स्वरूप उनके कार्यकाल में लगभग 108 संस्कृत ग्रंथों की रचना हुई । राजा संग्राम शाही ने " संग्राम शाही विवेक" एवं "रसरत्नमाला" नामक संस्कृत ग्रंथों की स्वयं रचना की ऐसा माना जाता है।
गोंड राजा हृदय शाह उच्च कोटि के संगीतज्ञ थे वे अपने आपको हिंदू ही मानते थे इसके कारण ही यह संभव हुआ ऐसा अनेक इतिहासकारों का मत है।
अत: विचारणीय है कि हम अपने पुरखों का अनुसरण करें। या इन धूर्त चर्च दलालों की बात मानें ?
स्वयं अब जागकर हमको, जगाना समाज है अपना।
जगाना देश है अपना।
आर्य भारत के मूल निवासी थे
DeleteDNA report padh le feku kori bakwas karta h
ReplyDeleteo murkh ye pad le
Deleteasli naam se comment karne ki himmat nahi
bas aa jaate hai anpad
http://www.dnaindia.com/india/report-new-research-debunks-aryan-invasion-theory-1623744
Kio apna apno se hi itana bhed bhav kaise jar sakta hai wo bhi hajaro salon tak
ReplyDeleteआदिवासी की फसानी की साजीस की जा हैं
ReplyDeleteआदिवासी हिंदू नाही हैं