सिकंदर या अलेक्षेन्द्र एक क्रूर और अत्याचारी मकदूनिया का राजा था। उसे केवल साम्राज्य की भूक थी जिसके लिए उसने लाखो के प्राण लिए।
सिकंदर का जन्म मकदून में 356 ईसापूर्व में हुआ था।
बचपन से ही उसे विश्व विजय की चाह थी। उसे अचिल्लेस जो की इलियद नाम की ग्रीक महागाथा का नायक था उसकी तरह बनना था।
सिकंदर बिलकुल अचिल्लेस की तरह युद्ध में अपनी सेना के आगे रहता ।
सिकंदर का पिता फिलिप द्वितीय एक शक्तिशाली राजा था,उसने ग्रीक के कई राज्यों को हराकर एक संघ का निर्माण किया था ।सिकंदर जब 13 वर्ष का था तब उसने अपने पिता की सहयता की थी संघ के कुछ राज्य के बगावत के दौरान।सिकंदर ने भागवत आसानी से दबा दी और वो एक प्रान्त का राज्यपाल बना।
फिलिप ने दूसरी शादी करली जिस कारण सिकंदर और उसकी माँ नाराज हो गयी जिस कारण वे यूनान से मकदून चले गए। इस बिच सिकंदर के कई सौतेले भाई हुए जो यूनान की गद्दी के वारिस होते।
दुबारा संघ के कुछ राज्यों ने बगावत छेद दी और फिलिप की हत्या करा दी।
सिकंदर फ़ौरन यूनान पंहुचा और बगावत फिरसे दबा दी ।
इसके बाद उसने आपने सारे सौतेले भाई बहनों की हत्या करदी साथ ही अपने चचेरे भाइयो को भी नहीं बक्शा ।
बाकि बचे यूनानी राज्यों को संघ में जोड़ सिकंदर ने संघ के सामने विश्वविजय की मुहीम रखी ।
संघ मान गयी और सिकंदर के नेतृत्व में सिकंदर फारस की सेना को हराने चल दिया।
उसके सामने एशिया के कुछ छोटे राज्य थे जिन्हें क्रूरता पूर्व रोंदते हुए वो आगे बड़ा।
फारस की सेना 2.5 लाख की थी और सिकंदर की 40 सहस्त्र(हज़ार) की थी पर उसने फारस को लगातार तिन युधो हराया ।इसका कारन ये नहीं सिकंदर महान था पर फारस का राजा दरस एक कमजोर राजा था ,उसके खुदके साम्राज्य में बड़े हिस्से में उसकी नहीं चलती थी।
फारस जीतने के बाद कई औरतो की अबरू लूटी गयी ,कई नगर जलाये गए क्यों ?क्युकी इससे पहले फारस यूनान पर दो बार नाकाम हमले कर चूका था सिर्फ इसी का बदला लेने के लिए। कई फारस के मंदिर तोड़े गए वो भी इसीलिए क्युकी सिकंदर उन्हें दूबारा अपने तरीके से बनाना चाहता था ।
326 ईसापूर्व में सिकंदर भारत की सीमा पर पहोच गया था।
बड़ा अजीब दृश्य था। हजारो 6फुट के फारसी सेनिक और उनके बीचो बिच 5.6 का सिकंदर जिसके बदन पर मेडुसा के चित्र का कवच था ।
गंधार और अम्बिसर सिकंदर के साथ मिल गए जबकि पुरु ने उससे लड़ने की ठानी ।
युद्ध हुआ और पुरु ने सिकंदर से अपना लोहा मनवाया ।सिकंदर और पुरु के हजारो सेनिक मारे गए। सिकंदर सोच में पड़ गया अगर युद्ध जारी रहा तो उसका बहोत नुकशान होगा इसीलिए सिकंदर ने संधि करली ।
भारतीयों द्वारा इतना कड़े मुकाबले के बाद यूनानी सेनिको ने नन्द से लड़ने से मना कर दिया ।नन्द भले ही बुरा हो पर काफी शक्तिशाली था और पुरु की 15 सहस्त्र के सेना ने ये हाल किया था तो नन्द की 2.5 लाख की सेना तो मिटा ही डालती उन्हें ।
अपनी सेना के विरोध के बाद उसने भारत से जाने की सोची साथ ही उसे अरब पर भी आक्रमण करना था ।
भारत से जाते वक़्त उसने कई नगर उजाड़े।
बेबीलोन अनपी राजधानी पहोचने के बाद उसने नन्द से लड़ने की तयारी शुरू करदी पर संघ और सेना को ये पसंद नहीं आया ।वे भारत जैसे भीम काई शत्रु पर आक्रमण कर सबकुछ गवाना नहीं चाहते थे।
यदि युद्ध होता तो जो धन सिकंदर फारस से जीता था वो यूनान भेजने के बजाये युद्ध में लगादेता और ये नहीं संघ को मंजूर था नहीं सेनिको को , इसीलिए 323 ईसापूर्व में सिकंदर की हत्या करदी गयी और वही दूसरी तरफ उसके एक लौटे बेटे की भी।
उसका साम्राज्य तिन राज्यों में बट गया ।
जो राजा साम्राज्य के पीछे हो वो महान कैसा और इतनो की जान लेने वाला महान योधा नहीं होता।
महान वो है जो सबके दिलो को जीते अगर मारनेवाला महान है तब तो हिटलर को भी महान कहना चाहिए ।
जय माँ भारती
nice bhai.. :)
ReplyDeleteji aapka naam ?
ReplyDeletethanx
ReplyDeleteआपका पोस्ट तो ज्ञानवर्धक है | कुछ शब्द गलत लिखा गए है और प्रस्तुतिकरण में बहुत ही सुधार की जरुरत है |
ReplyDeleteanya bloggers pahale ek paper par acche se likh lete hai aur tabhi post karte hai
ReplyDeletepar main sidhe hi likh deta hu
aur mobile use karta hu to chahkar bhi galat shabdo ko thik nahi kar sakta
uppar se mobile esa hai ye ki baar baar atakne lagta hai
kai baar jab me कोई wagera aise shabd likhta hu to कओ ई aa jata hai
abhi jaise hi pc aa jaye naya to sudhar bhi kar lunga
Bahut accha likha he bas thoda likhne me mistake ho gyi he bt itni bhi jada ni he samajh me to aa hi Ra he,,,,thanks .,,,,,,,,brother
ReplyDeleteTumhare facts ka source kya hai
ReplyDeleteMain jan na chahunga ki ye jo anab sanab likha hai hai tumne kahi pada tha ya apne se hi likh diya
Sikandar ki mahanta pe sawal uthate hue socha bhi nhi jo shayad ab tak ka sabse mahan raja tha
Veero ka samman karna hume bhagwaan krishna ne sikhaya hai
Kisi ko gaali dena bahot aasan hota hai par kya tumhe shobha deta hai
Jise bhi sikandar ke baare me thoda bhi gyaan ho vo bata dega.Aap yadi sikandar par PhD kar baithe ho to aapko gyaat hona chahiye ki sikandar ne apne kai ristedaro ko ki hatya ki thi gaddi ke liye. Yadi aapko yah bhi nahi pata to aap apne kisi bhi vishwasniya sautra se ya Wikipedia se pata laga sakte hai.
DeleteSikandar ne kai nagar ujade. Bharat se jaate waqt bhi vo lootpaat karke gaya aur malwa jati ka nash karke gaya.
Porus ke alawa sikandar ne jitne rajao se ladai ki unke sabhi ristedaro ki hatya kar di.
Darius III jo us samay Persia ka raja tha usne sikandar se samjhote ki baat ki.
Aapke mahan sikandar ne uski ek bhi n suni thik jaise kauravo ne shree krishna ki nahi suni thi jab ve pandavo ke doot bankar aaye the.
Jis krishna ki aap baat kar rahe hai usne apne kul ki hatya nahi ki aur na hi nagaro ko ujada.
Usne konsa logo ke liye hospital khulvaye yah kuch mahan kiya.
Aap European logo ke gulam hai. Ve chale gaye par unki soch zinda hai.
Unhone sikandar ko mahan kaha to aapke liye bhi vo mahan ho gaya. Changez khan ko ye europiya krur aur bura batate hai par usi ke raaj me Mongolia ka vikas hua aur Mongolia me 100 varsh tak shanti rahi jise Pax Mongolica kahate hai.
Sikandar ke raaj me aisa kuch nahi hua.
Aur aapke paas kya hai aisa jo meri baato ko galat shabit kare?