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Thursday, October 16, 2014

इसाई क्रॉस की नॉर्स उत्पत्ति ( Norse origin of Christian Cross )

क्रॉस या सूली इसाई धर्म का प्रसिद्ध चिन्ह है और इसाई धर्म की यही पहचान है। कहते है की रोमन सम्राट कांस्तान्तैन ने एक युद्ध के दौरान आसमान में सूली या क्रॉस नज़र आया जिसके बाद उसने इसाई धर्म अपना लिया था।
पर यह बात बड़ी विचित्र लगती है की इसाईयो ने उस सूली को अपना चिन्ह क्यों बनाया जिसपर इसाह मसीह की मृत्यु हुई थी?
इसका कारण है की इसाई धर्म  ने अपने समकालीन अन्य धर्मो के चिन्ह अपना लिए जिस कारण वे जन साधारण तक पहोच पाए।

आज यदि हम देखे तो कई लोग आपको गले में क्रॉस का लॉकेट पहने देखेंगे, कुछ तो केवल फैशन के लिए पहनते है पर अधिकतर उन लोगो में इसाई होते है।
गले में क्रॉस देख आप पहचान सकते है कि वह व्यक्ति इसाई है। पर क्रॉस का लॉकेट पहनना और स्वयं क्रॉस की उत्पत्ति इसाई धर्म के समकालीन धर्म नॉर्स धर्म से है।

नॉर्स धर्म
नॉर्स लोग या वाइकिंग लोग उत्तर यूरोपीय लोग थे जो 7वी सदी इसवी के बाद सामने आये। यह लोग आर्य भाषा, नॉर्स भाषा बोलते थे। इनके धर्म को नॉर्स धर्म कहा जाता है जिसका प्रमुख देवता था ओडिन, जो की देवताओ का राजा था। ओडिन का पुत्र थुनार जिसे आज थोर के नाम से जानते है वो वर्षा और बिजली का देवता था। अपने बिजली के हथोड़े से वह अपने शत्रुओ पर बिजली गिराता और उन्हें नष्ट करता।
नॉर्स योद्धा समुदाय के लोग थे और उनके देवता भी योद्धा ही थे। युद्ध में जाने से पहले या अन्य राज्य पर हमला करने से पहले वे अपने देवताओ से प्राथना करते और  थोर के हथोड़े का लॉकेट पहनते थे। उनके अनुसार उस लॉकेट में थोर का आशीर्वाद था और थोर उनकी रक्षा करेंगे। इस कदर का लॉकेट सामान्य नॉर्स व्यक्ति भी पहनता था।

नॉर्स लोगो ने अपने सैन्य अभियानों के दौरान डेनमार्क,स्वीडन,फ्रांस,ब्रिटेन,रूस और कुछ अन्य उत्तर यूरोपीय देशो में अपनी बस्ती बसाई। इस कारण उनका धर्म और उनकी संस्कृति लगभग सम्पूर्ण यूरोप में फैली।
थोर के हथोड़े का लॉकेट आज हमें यूरोप में कई जगह मिलते है।
लगभग 13वी सदी इसवी तक वाइकिंग या नॉर्स लोगो के राज्य पूरी तरह से इसाई बन चुके थे। इसाई बनने के बाद नॉर्स लोगो की कई प्रथाओ और रिवाजो को इसाई धर्म ने अपने अन्दर समा लिया जिसमे थोर के हथोड़े का लॉकेट भी शामिल था।
थोर के हथोड़े का लॉकेट लगभग इसाई क्रॉस की तरह ही दिखता है, चुकी थोर के हथोड़े का लॉकेट नॉर्स लोगो के लिए सामान्य बात थी इसीलिए इसाई बने वाइकिंग क्रॉस के लॉकेट को धारण करने लगे।
इसाई बनने के बाद वाइकिंग राजवंशी और योद्धा नाइट कहलाये। पोप के आदेशानुसार ये नाइट्स जेरूसलम को इसाईयो के अधीन करने गए और क्रूसेडर्स कहलये।
अपने पूर्वजो की तरह, जो कि अपने साथ थोर का हथोड़ा लेकर जाते थे ये नाइट्स अपने साथ क्रूसेड (क्रॉस) लेकर गए थे।

इसाई धर्म एक ऐसा धर्म है जो कई अन्य धर्मो की शिक्षाओ, निति, रिवाज आदि से मिलकर बना। इसका सबसे अच्छा उधारण वह क्रॉस है। /div>
इसाई बनने के बाद वाइकिंग राजवंशी और योद्धा नाइट कहलाये। पोप के आदेशानुसार ये नाइट्स जेरूसलम को इसाईयो के अधीन करने गए और क्रूसेडर्स कहलये।
अपने पूर्वजो की तरह, जो कि अपने साथ थोर का हथोड़ा लेकर जाते थे ये नाइट्स अपने साथ क्रूसेड (क्रॉस) लेकर गए थे।

सोत्र: http://www.ancient-origins.net/news-history-archaeology/discovery-hammer-thor-artifact-solves-mystery-viking-amulets-001819

जय माँ भारती

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