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Saturday, January 25, 2014

भारत में मधु (Honey in India)

मधु या शहद मानव शारीर के लिए काफी लाभदायक है ,आयुर्वेद में मधु काफी महत्वपूर्ण है चिकित्सा की दृष्टी से ।
सिंधु सरस्वती सभ्यता में हमें थोड़े बहोत प्रमाण मिलते है मधु के ।
ऋग्वेद में भी मधु का उल्लेख है

मधु वाता रतायते मधु कषरन्ति सिन्धवः |
माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः ||
मधु नक्तमुतोषसो मधुमत पार्थिवं रजः |
मधु दयौरस्तु नः पिता ||
मधुमान नो वनस्पतिर्मधुमानस्तु सूर्यः |
माध्वीर्गावो भवन्तु नः ||
(ऋग्वेद 1.90.6-8)

अर्थ :
हर बहती हवा को मधु बहाने दो
हर नदी और समुद्र को मधु बनाने दो
हमारी दवाए मधु बन जाये
सुबह और संध्या को मधु से भरदो
हर नकारात्मक उर्जा को मधु में बदल दो
हमारे पालनहार ,इस आकाश को मधु से भरदो
वृक्षों को मधु में बदल दो
सूर्य को मधु में बदल दो
ऐसा करदो की हमारी गाये मधु दे ।

इसके अलावा उपनिषदों में भी मधु का उल्लेख है ,मधु यज्ञो में भी उपयोग होता है ।
मधु के कई चिकित्सीय गुण है ।
आयुर्वेद में 8 तरह के मधुओ का उल्लेख है
1) माक्षिकं :इस तरह का मधु आँखों के रोग ,
हेपेटाइटिस ,पाइल्स,दमे के रोग में,खासी और टूबरकलोसिस में उपयोग होता है ।

2) भ्रामाराम : खून की उलटी के समय उपयोग किया जाता है ।
3) क्षौद्रम : मधु रोग (Diabetes ) के इलाज में उपयोग होता है ।
4) पौथिकम : मधु रोग और लिंग संक्रमण में उपयोग आता है ।
5) चथ्रम : यह परजीवी द्वारा संक्रमण,मधु रोग और खून की उलटी के इलाज म3 उपयोग होता है ।
6) आर्ध्यम : आँखों के इलाज के लिए ,खासी और अनेमिया के उपचार में उपयोग होता है ।
7) ओउद्दलकम :स्वाद बढाने और स्वरासुधि में उपयोगी,विष और लेप्रोसी के उपचार में भी उपयोगी ।
8) दालम : पाचन शक्ति बढाने ,उलटी और खासी के उपचार में उपयोग होता है ।

मधु सदियों से भारतीय मिठाईयो में भी उपयोग होता आया है ।
आज कई कंपनिया लोगो को मुर्ख बनाकर चीनी का पानी बेचते है खासकर विदेशी कंपनिया ।

जय माँ भारती

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