Friday, May 20, 2016

आर्य आक्रमण सिधांत का अंत

अंग्रजो के भारत में आने के बाद उन्होंने अपने संस्कृत वाहियाद ज्ञान के बदोलत एक ऐसा इतिहास खड़ा किया जो 200 वर्षो से अधिक तक रहा और भारतीयों को खुदको विदेशी समझने पर मजबूर करता रहा। अंग्रेजो ने वेदों और उपनिषदों के अपने कम ज्ञान के कारण न जाने क्या क्या गप्प रचे। आर्यों को यूरोपीय साबित कर दिया, आर्यों को असभ्य और जंगली बना दिया, आर्यों को मांसाहारी बना दिया और तो और आर्यों को क्रूर और बर्बर लूटेरे बना दिया जिन्होंने भारत के मूल लोगो पर अत्याचार किये।
यूरोपीय  द्वारा आर्यों का अपमान 

पर भला असभ्य और जंगली लोग भारत के मूल लोगो को कैसे हरा सकते है जो उनसे अधिक सभ्य और व्यवस्तिथ थी। यह बात पुराणी हो चुकी है की सिन्धु घाटी के लोग शांतिप्रिय लोग थे और उनके पास हथियार, फ़ौज और घोड़े नहीं थे जिस कारण वे आर्यों से हारे। यदि आप यूरोपीय गप्प जैसे दशाराज्ञ युद्ध  और अन्य काल्पनिक युद्ध पढ़े, जो कि यूरोपियो द्वारा निर्मित और वेदों में गुशैड़ी हुई गप्प है, उसमे आर्यों के अलावा दास या अन्य गैर आर्यों राजाओ के पास सेना, हथियार और घोड़े बताए गए है। दास और अन्य गैर आर्य राजा जिन्हें पश्चिमी विद्वान अक्सर सिन्धु घाटी के लोगो से जोड़ते है उनके पास हथियार, फ़ौज और घोड़े कहा से आये? जबकि इनका खुदका यह कहना है कि सिन्धु घाटी के लोग शांतिप्रिय थे। और दशाराज्ञ युद्ध गप्प से तो लगता है आर्य और अनार्य लोगो में ज्यादा अंतर नहीं था। 

अमेरिका के विद्वान रिचर्ड एच. मीडो शांतिप्रिय सिन्धु घाटी मिथ्या पर कहते है:-

"विश्व में आज तक ऐसी कोई सभ्यता नहीं हुई जिसमे किसी प्रकार की हिंसा या झड़प न रही हो। पहले माया सभ्यता या मध्य अमेरिकी सभ्यता को भी शांतिप्रिय माना जाता था। जब उनके लेखो को पढ़ा गया और उनके जीवाश्मो की जाच हुई तो पता चला की बात कुछ और ही है और यह बिना किसी आधार के है। सिन्धु घाटी के मामले में हमारे अधिक सबूत नहीं है जैसे की उनकी भाषा का ज्ञान और चित्र। खड़ी  फौजे तो आज के युग की दें है, पहले लड़ाईया लूट के मकसद से या समय अनुसार तय किये जाते थे। प्रारंभिक युद्ध तालाब और ज़मीन के लिए आपसी लड़ाईया रही होंगी जो राजा और सरदारों द्वारा लड़े जाते थे। विश्व का पहला साम्राज्य  अक्कदी  साम्राज्य ने अपने सभी पड़ोसी राज्यों को जीता था जो अधिकतर दीवार द्वारा सुरक्षित होती थी तो दीवार होना कोई मायने नहीं रखता। यहाँ मुश्किल यह है है कि हमें सिन्धु घाटी के लोगो के बारे में अधिक ज्ञान नहीं है जितना अन्य सभ्यताओ के बारे में है। सिन्धु घाटी से हमें ताम्बे और मिश्रित धातुओ के हथियार प्राप्त हुए है और एक छवि में एक पुरुष के हाथ में भाला दिखाया गया हैजिससे वह एक सांड को मार रहा है।"
सिन्धु घाटी से प्राप्त हथियार

आर्य असभ्य तो बिलकुल नहीं थे, यदि वे होते तो वेदों का ज्ञान कैसे संझोते? वेदों में राजा और राष्ट्र का उल्लेख है जो बताता है की आर्य काफी सभ्य थे और उनके राज्य भी थे। यदि आर्य कबीलाई और जंगली होते तो फिर उनके ग्रंथो में राष्ट्र शब्द क्यों है जिसका अर्थ देश है जबकि कबीलाई लोग छोटे छोटे कबीलों में रहते है। 


आज अमेरिका सहित कई अन्य देशो में आर्य आक्रमण सिधांत को हटाकर सिन्धु घाटी के पतन का कारण प्राकृतिक विपदा कर दिया गया है इतिहास की पुस्तकों में। पर फिर भी आर्यों को विदेशी ह कहा गया है और एक नया सिधांत आर्य प्रवास सिधांत बना दिया गया  है।

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