Tuesday, September 24, 2013

अशोक्वंदाना का भंडाफोड़ (Ashokavandana Exposed)

आप सोच रहे होंगे की मैं अशोकवंदन का भंडाफोड़ क्यों कर रहा हु ?
जवाब सरल है
हिन्दुओ ने कभी दुसरे धर्मो को नुकसान नहीं पहोचाया पर अशोकवंदन में जीकर मिलता है की पुष्यमित्र शुंग ने बोद्ध भिक्षुओ की हत्या की
यह केवल एक ही घटना है
पर इसी एक घटना से ही हिन्दू विरोधियो ने कई कहानिया लिख दी
इससे हिंदुत्व बदनाम हो रहा
श्री जमनादास जिन्होंने Tirupati Balaji was a Buddhist Shrine नाम की हिन्दू विरोधी किताब लिखी है
इन्होने ही एक लेख में लिखा है की होली असल में पुष्यमित्र शुंग ने शुरू की थी ताकि बोद्ध भिक्षुओ को जलाया जा सके और आज वह एक त्यौहार है
अब जमनादास जी तहरे अम्बेडकरवादी
उनका यह लिखना लाजमी है ।
अब बात करते है अशोकवंदन की
अशोकवंदन 2 इसवी में मथुरा में लिखी गई थी
यह दिव्यवंदन का एक भाग है
अशोकवंदन सम्राट अशोक की जीवनी कह सकते है ।
हिन्दू विरोधी हमेशा हिन्दू ग्रंथो को नकारते है यह कहकर की हिन्दू ग्रन्थ काल्पनिक है ,इसमें जादू वगेरा है
तो अशोकवंदन कौनसी सत्यकथा है
इसमें हजारो चमत्कार है
सिद्धार्थ गौतम भविष्यवाणी करते है की जय नाम का बालक अगले जन्म में सम्राट अशोक बनेगा ।
जादू से ऑंखें ठीक करना
जादू से असली नर मुंडी बनाना
और वगेरा वगेरा
अब हिन्दू विरोधी इस पुस्तक को कैसे ले सकते है साबुत के तौर पर ?
साथ ही इस पुस्तक का मुख्य पात्र ही हत्यारा है
यानि अशोक मौर्य
अशोकवंदन के अनुसार एक ऐसी घटना घटी पाटलिपुत्र में जिससे अशोक को खूब गुस्सा आया ।
हुआ यु की एक जैन धर्मी ने एक चित्र बनाया जिसमे गौतम बुद्ध वर्धमान महावीर के पैर छुकर आशीर्वाद ले रहे है
क्युकी जैन मानते थे की गौतम बुद्ध भी जैन अनुयायी है
गौतम बुद्ध के गुरु थे उदक रामपुत्र, जिन्होंने े गौतम बुद्ध के राज्य छोड़ने के बाद उन्हें ध्यान,योग आदि सिखाया ।
अब कुछ बोद्ध भिक्षुओ ने इसकी शिकायत की अशोक से
अशोक ने उसी दिन पाटलिपुत्र  में उस चित्रकार और  अन्य 18 हज़ार जैन अनुयायियों को जला दिया ।
इसके बाद यह ऐलान किया की जो व्यक्ति किसी जैन भिक्षु का सर लेकर आएंगा उसे मुहरे मिलेंगी ।
क्या तभी कोई था नहीं अशोक को रोकने वाला ?
इससे पता चलता है की बोद्ध भिक्षु भी कट्टर धर्मवादी है
साथ में वे गौतम बुद्ध के सिधांत भी भूल गए
इस नरसंहार के बाद अशोक को धर्मरक्षक कहा गया बोद्ध भिक्षुओ द्वारा ।
तो क्यों केवल लोगो को पुष्यमित्र ही नजर आता है जबकि उससे बड़ा हत्यारा अशोक था ।
अब आते पुष्यमित्र की कहानी पर
केवल थोड़ा ही लिखा गया है पुष्यमित्र पर
"पुष्यमित्र अपनी सेना के साथ आया और उसने पाटलिपुत्र के स्तूप तबाह कर दिए ।"
"पुष्यमित्र ने सगल (सालकोत) में हजारो स्तूप तोड़े ,हजारो भिक्षुओ को जला कर मार दाला ।"
"पुष्यमित्र ने ऐलान किया की जो भी व्यक्ति उसे बोद्ध भिक्षु का सर लाकर देगा उसे मुहर मिलेगी ,यह सुन एक अरहंत(एक सिद्ध बोद्ध भिक्षु) ने अपनी शक्तियों से असली सर बनाकर लोगो को दिए ताकि बोद्ध भिक्षुओ की हत्या न हो ।"

अब बोद्ध धर्मियो को बोद्ध भिक्षुओ की हत्या नरसंहार लग रहा है पर जैन अनुयायियों की हत्या पर अशोक को धर्मरक्षक कहा जा रहा है ।
और क्या अशोक के वक़्त कोई अरहंत नहीं था जो नकली सर बनाकर हजारो जैन अनुयायियों की जान बचा सकता था
पर आपने एक बात देखि ?
पुष्यमित्र की कहानी असल में अशोक की कहानी की कॉपी है
जैसे अशोक ने जैन धर्मियो को जलाया और उनके सर की मांग की उसी कदर पुष्यमित्र ने भी बोद्ध भिक्षुओ को जलाया और सरो की मांग की थी
अब कॉपी है तो यह बात झूठ ही होगी
साथ में केवल अशोकवंदन में ही लिखा है की पुष्यमित्र मौर्य वंश का राजा था और उसका साम्राज्य सगल (सालकोत) तक था
पर अन्य ग्रंथो के अनुसार पुष्यमित्र के जीते जी उसका साम्राज्य जालंधर तक था
साथ में पुष्यमित्र के सिक्के केवल जालंधर तक ही मिले है
और तो और सगल(सालकोत) कोई ऐरी गैरी जगह नहीं थी
वह हिन्द-यूनानियो (Indo-Greeks) की राजधानी थी
साथ में हिन्द यूनानियो से पुष्यमित्र ने लड़ाई की ही नहीं
केवल उसके पुत्र अग्निमित्र और पोते वसुमित्र ने लड़ाई की हिन्द यूनानियो से और उन्हें खदेड़ दिया वह भी पुष्यमित्र की मृत्यु के बाद
यानि की जब पुष्यमित्र जीवित था तो वह सगल गया ही नहीं और नाही वह उसके साम्राज्य का हिस्सा था
यह तो अग्निमित्र था जिसने सगल जीता
तो क्या अशोकवंदन के लेखक ने गलती से अग्निमित्र के बजाए पुष्यमित्र का नाम लिख दिया ?
यदि ऐसा है तब तो यह पुस्तक ही गलत है
अशोकवंदन पुष्यमित्र के 200 वर्ष बाद लिखी गई
और लेखक को यह भी नहीं पता की सगल पुष्यमित्र के राज्य में नहीं था
साफ़ है
अशोकवंदन एक उपन्यास की तरह है
इसमें केवल काल्पनिक कहानिया है
अशोक का बोद्ध धर्म के लिए प्रेम दिखाने के लिए उसके हाथो हजारो जैन धर्मियो को मरवा दिया गया
अरहंत की शक्ति दिखाने के लिए पुष्यमित्र का नाम ख़राब कर दिया लेखक ने
बरुच और सांची के स्तूपो पर शुंग वंश के कई राजाओ का नाम है और उन्हें देवप्रिय आदि नाम दिए गए है क्युकी शुंग वंश राजाओ ने इन स्तूपो की मरम्मत कराइ थी
इसमें पुष्यमित्र का भी नाम है
और शुंग वंश की बोद्ध धर्म से कोई दुश्मनी नहीं थी ।
यदि पुष्यमित्र ने भिक्षुओ की हत्या की तो इसके पीछे वजह क्या थी ?
अशोकवंदन में पुष्यमित्र के इस कार्य की वजह नहीं दी गई है
और यदि वह बोद्ध धर्म से घृणा करता था तो स्तूपो पर उसका नाम क्यों है ?
हिन्दू धर्म ने हमेशा अन्य धर्मो का सम्मान किया है पर अन्य धर्म ऐसे नहीं है
बोद्ध ग्रन्थ महावंश में वित्तागामिनी जो लंका का राजा था उसके द्वारा एक जैन मठ को तबाह करने का जीकर है
जैन कथाओ में भी जीकर है बोद्ध भिक्षुओ को बहस में हराने के बाद जैन धर्मियो ने बुद्ध की प्रतिमा को लात मारकर गीरा दिया
हाल ही में श्री लंका में बोद्ध धर्मियो ने एक हिन्दू मंदिर तोड़ दिया ।
हिन्दुओ के किलाफ़ एक ही ऐसा आरोप है जिसे मैंने गलत साबित कर दिया है
आज मुसलमानों ने अफगान में और उत्तरप्रदेश में बुद्ध की मूर्ति तोड़ दी
पर क्या हिन्दुओ ने ऐसा किया ?
नहीं
आज बोद्ध, जैन और इस्लामिक तीर्थो पर जो जाते है उनमे अधिक हिन्दू है ।
यानि हिन्दुओ से ज्यादा कट्टर अन्य धर्मो के लोग है ।
हिन्दुओ का कोई मित्र नहीं सिवाय हिन्दुओ के ।
अन्य धर्म के लोग हिन्दुओ के नहीं
क्युकी वेही आज हिन्दुओ पर आरोप लगा रहे है ।

जय माँ भारती