Sunday, August 21, 2016

मोहनजोदड़ो पर उठाये गए सवालो का उत्तर


ऋतिक रोशन के फ़िल्म आई थी अभी मोहनजोदड़ो नाम की जो सिंधु सभ्यता के नगर मोहनजोदड़ो पर आधारित है। फ़िल्म आई नहीं की स्वघोषित इतिहासकार और अन्य सभी लोग फ़िल्म की आलोचना करने लगे, कहने लगे की फ़िल्म में गलत इतिहास दिखाया गया है। मैं ऋतिक रोशन का प्रशंसक नहीं हु पर जो आरोप इस फ़िल्म पर लगे है उनके विरुद्ध हु। भाई फ़िल्म है यह कोई इतिहास संबंधी डॉक्यूमेंट्री नहीं। फ़िल्म है तो उसमे कुछ भी बताये क्या फरक पड़ता है। अब हॉलीवुड की फ़िल्म 300 ही ले लीजिये, उसमे कई खामिया है पर फिर भी सबने मज़े से देखि, किसी को यवन या ईरान के इतिहास का कुछ पता नहीं और फिर भी देख ली। फ़िल्म में ईरानियो को राक्षसो सा दिखाया,  जो की गलत है पर हमें क्या। लेकिन मोहनजोदड़ो आई तो बन गए इतिहासकार।

अब कुछ आरोपो का मैं खंडन करता हूँ।

1) मोहनजोदड़ो के लोग अहिंसावादी थे पर फ़िल्म में हिंसा के कई दृश्य बताये गए थे।

ऊ: मोहनजोदड़ो या सिंधु सभ्यता के लोग अहिंसावादी नहीं थे। सिंधु सभ्यता के लोगो को अहिंसावादी समझ जाता है क्योंकि सिंधु सभ्यता में आज तक एक में प्रमाण नहीं मिले है युद्ध के या कोई चित्र मिला है युद्ध पर आधारित। पर हमें कुछ प्रमाण मिले है जैसे कि कुछ कंकालो पर निशान मिले है जो हिंसा के प्रमाण थे और उनकी मृत्यु किसी झड़प में हुई थी। साथ ही हमें कई हथियार भी मिले है। कुछ लोगो के अनुसार वे हथियार केवल जानवरो से सुरक्षा के लिए था पर अहिंसावादी व्यक्ति जानवरो पर भी हथियार इस्तेमाल नहीं करेगा। कुछ के अनुसार सिंधु के नगरो में सुरक्षा दीवारे है जो युद्ध से बचाती है। पर यह जरुरी नहीं की सुरक्षा दीवार न होना सिंधु सभ्यता के लोगो को शांतिप्रिय सिद्ध करे। 300 के मुख्य पात्र स्पार्टा नाम के नगर राज्य से थे। स्पार्टा के लोग लड़ाकू और जंगी किस्म के थे पर उनके नगर स्पार्टा में एक भी सुरक्षा दीवार नहीं थी।

2) फ़िल्म में लोगो को हिंदी बोलते हुए बताया गया है वो भी शुद्ध हिंदी जिसमे कई संस्कृत शब्द है और मोहनजोदड़ो के लोग आर्य भाषा नहीं बोलते थे।

ऊ: भाई जब फ़िल्म हिंदी बोलने वाले लोगो के लिए है तो किरदार हिंदी में ही बोलेंगे न और चुकी फ़िल्म प्राचीन काल पर आधारित है तो शुद्ध हिंदी का प्रयोग होगा ही। अब मोहनजोदड़ो के लोग कोनसी भाषा बोलते थे इस बारे में पता नहीं इसीलिए केवल हिंदी का प्रयोग हुआ है। यदि हमें मोहनजोदड़ो की प्राचीन भाषा क्व बारे पता चल भी जाये तो पूरी फ़िल्म उस भाषा में तो बना नहीं सकते क्योंकि आम जनता को वह समझ आएगी नहीं। और हमें यह भी नहीं पता की मोहनजोदड़ो के लोगो की भाषा ईरानी एलामि भाषा से संभंधित थी या आर्य भाषाओ से, तो यह कहना की मोहनजोदड़ो के लोग गैर-आर्य भाषा बोलते थे गलत है।

3) मोहनजोदड़ो फ़िल्म में नायिका और अन्य किरदारों को जो वस्त्र दिए है वैसे वस्त्र मोहनजोदड़ो के लोग पहनते ही नहीं थे।

ऊ: इस बारे में सेंट ज़ेवियर कॉलेज की एक इतिहास की प्रोफेसर ने कहा था कि सिंधु सभ्यता की लोग फ़िल्म में दिखाए गए जैसी वस्त्र पहनते ही नहीं थे अपितु मोहनजोदड़ो से प्राप्त मूर्तियो में महिलाएं नग्न दिखाई गयी है केवल आभूषणों से उनके कुछ अंग ढके हुए है। तो हम यह मान ले की सिंधु सभ्यता में लोग नग्न ही घूमते थे? भाई में पंजाब गया हु, रात में जो ठण्ड लगती है उसमे 2 कम्बल भी कम लगते है और यहाँ यह लोग हमें बता रहे है की सिंधु सभ्यता के लोग ठण्ड में भी नग्न घूमते थे। मूर्तियो में लोगो को नग्न बताने का अर्थ यह नहीं की मोहनजोदड़ो के लोग सच में नग्न घूमते थे। अब यवन में भी कई मुर्तिया नग्न ही है पर यवनी कपड़े पहनते थे। साथ ही सिंधु सभ्यता के लोग कपास भी उगाते थे जो वस्त्र बनाने में काम आता है तो उस कपास से वे वस्त्र बनाते ही होंगे। हैम ठीक से जानते नहीं है उस काल की वेश भूषा क्या थी इसलिए फ़िल्म में कुछ भी बता दिया, अब क्या फ़िल्म की नायिका को नग्न दिखाएंगे फ़िल्म में क्योंकि हमें वस्त्र के अधिक प्रमाण नहीं मिले?

4) मोहनजोदड़ो फ़िल्म में अश्व को दिखाया गया है जब कि अश्व उस समय भारत में थे ही नहीं।

ऊ: भारत में अश्व के एक पूर्वज के अवशेष मिले है जो 70 हज़ार वर्ष पुराने है और सिंधु सभ्यता के एक नगर लोथल में अश्व के प्रमाण मिले है करीब 2000 ईसापूर्व के आसपास के। तो यह कहना की भारत में उस समय अश्व थे ही नहीं बिलकुल गलत है। फ़िल्म के अनुसार वह फ़िल्म 2016 ईसापूर्व के मोहनजोदड़ो पर है जो कि लोथल में मिले घोड़े के प्रमाणों के आसपास ही है। लोथल मोहनजोदड़ो के काफी दक्षिण में है। यदि इतने दक्षिण में घोड़े पहोच गए तो मोहनजोदड़ो में क्यों नहीं?शायद सिंधु सभ्यता के लोगो ने अश्व पालना बादमे शुरू किया जिसका अर्थ यह नहीं की भारत में अश्व थे ही नहीं। अब विश्वप्रसिद्ध एकसिंघे या Unicorn को ही ले लीजिये जो सिंधु सभ्यता में काफी प्रसिद्ध था। हम जानते है की एकसिंघा जैसा कोई जिव नहीं है और नाही उसके प्रमाण है फिर भी सिंधु सभ्यता के लोगो ने उसे अपने कलाकृतियों में बताया। जरुरी नहीं की सिंधु सभ्यता के लोगो ने जो अपनी कलाकृतियों में दिखाया हो वह सही हो।

5) मोहनजोदड़ो फ़िल्म का खलनायक जो है वो राजा या नेता है पर इस बात का कोई प्रमाण नहीं कि वहा कोई राजा या नेता राज करता था।

उ: इस सवाल में ही उत्तर है। हमें नहीं पता कि मोहनजोदड़ो नगर की व्यवस्था कैसी थी और न ही उसके अधिक प्रमाण है। क्योंकि मैं पहले भी बता चूका हूँ कि यह केवल एक फ़िल्म है जो काल्पनिक कहानी पर आधारित है तो इसमें सही इतिहास की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उद्धरण के लिए फ़िल्म 300, इस फ़िल्म में स्पार्टा नगर राज्य का केवल एक ही राजा, राजा लियोनाइदास ही दिखाया गया है पर सच यह है की स्पार्टा के 2 अलग अलग राजा होते थे अलग अलग राजवंश के जो साथ मिलकर राज करते थे। पर फ़िल्म में दूसरा राजा गायब है। तब क्यों किसी ने सवाल नहीं उठाये?
क्योंकि भाई फ़िल्म है
जयादा दिमाग मत लगाओ।

जय माँ भारती