Monday, October 10, 2016

सोम उर्जा है न की शराब।

पश्चिमी इतिहासकारों ने जब आर्यों का इतिहास लिखना शुरू किया तब उन्होंने ईरानी ग्रंथो और वेदों में समानता देखि। इसका कारण यह था की ईरानी लोग आर्य ही थे जिन्होंने अपना धर्म त्याग दिया था पर उसके बावजूद उनके नए धर्म में आर्य धर्म के कई अंश बचे हुए थे और उनमे सोम भी है। ईरानी ग्रंथो में सोम को होम कहा गया है जो की किसी वनस्पति का रस था जिसे ईरानी अपने अनुष्ठानो में उपयोग करते थे। ईरानी ग्रंथो यस्न में ही लिखा है कि होम एक वनस्पति है [यस्न १०.५] और यह शराब की तरह मादक है [यस्न १०.८] साथ है होम रस को सबसे पहले यिम के पिता विवान्ह्वंत ने बनाया था [९.४]।

पश्चिमी इतिहासकारों ने इन्ही सब को पढ़ कर कल्पना कर ली कि होम या सोम असल में किसी वनस्पति का रस है जो मादक है। पश्चिम के श्री श्री डेविड अन्थोनी ने अपनी पुस्तक में इसी कल्पना के आधार पर लिखा है कि आर्य यूरेशिया से आकार वक्शु नदी के पास बसे और वक्शु सभ्यता का निर्माण किया। यहाँ आर्य और अनार्य मध्य एशियाई लोगो का मिश्रण हुआ जिस कारण आर्यों ने उन मध्य एशियाई लोगो के कई रीत अपना ली जिनमे सोम रस का सेवन भी शामिल था। अपनी बातों को सिद्ध करने के लिए श्री श्री डेविड जी बताते है कि वक्शु सभ्यता के नगरो में कई जगह ऐसे बर्तन मिले है जिसे सोम अनुष्ठानो के लिए उपयोग किया जाता होगा। श्री श्री वेंडी दोनिगेर जिन्हें पता नहीं संस्कृत में डिग्री कहा से मिल गयी लिखती है कि आर्य शराबी लोग थे और जिन ऋषियों को वेदों का ज्ञान मिला वह असल में सोम रस के नशे और भ्रम के कारण उत्पन हुआ था। [The Hindus: An Alternative History]  

फिर भी यह महाज्ञानी लोग सोम की पहचान करने में असफल रहे। जब इन्हें अपने शोधो से यह पता चल गया कि सोम अनुष्ठानो की उत्पत्ति कहा हुई और किस कदर आर्य ऋषियों को वेद का ज्ञान प्राप्त हुआ तो आप उस वनस्पति की पहचान क्यों न कर सके? आज टेक्नोलॉजी इतनी आगे है प्राचीन काल के बर्तन की खुरचन से या मानव के मॉल से पता चल जाता है की वे क्या खाते थे। तो फिर वक्शु सभ्यता के उन तथाकथित बर्तनों को जिनमे सोम रस रखा जाता था उसका विश्लेषण कर पता क्यों नहीं करते की सोम किस वनस्पति से आया है?

यह इसलिए संभव नहीं है क्युकी पश्चिमी इतिहासकार भी जानते है की उनकी बातें केवल कल्पना मात्र है। सोम असल में वह दिव्य उर्जा है जो सभी जीवो में है। यह उर्जा वृक्ष आदि सूर्य और चन्द्र से प्राप्त करते है और यही उर्जा हमें भोजन में प्राप्त होती है। पुरानो के अनुसार सोम देव या चन्द्र चन्द्र ग्रह और जंगल और जानवरों के पालनहार है। वे ही है जो सूर्य की उर्जा को शीतल कर इस संसार को देते है और हमारा पालन पोषण करते है। ऋग्वेद के ४ मंडल ४० सूक्त के मंत्र २ अनुसार सोम और पूषण अर्थात चन्द्र और सूर्य के कारण इस संसार में अन्धकार गायब हो गया और इन्ही दोनों के कारण फासले अच्छी और गाय पौष्टिक दूध देती है वेदों के अंग्रेजी अनुवाद अनुसार, वही स्वामी दयानंद सरस्वतीजी के अनुसार यहाँ सोम का अर्थ चन्द्र और औषिधि है।