Friday, March 7, 2014

हिंदू धर्म की पुनः स्थापना (Re-establishment of Hinduism)

सम्राट अशोक के बोद्ध धर्म अपनाने के बाद पूरा उत्तर भारत बोद्ध बन गया और मौर्य कालीन नगरो में मथुरा बोद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र बन गया था ।
तक़रीबन 500 वर्ष तक वह बोद्ध केंद्र बना रहा ,हा कुछ काल के लिए शुंग वंश का राज रहा मथुरा में , पर शुंग राजा धर्मनिरपेक्ष थे ।
अशोक के काल से पहले मथुरा वैदिक धर्म का केंद्र था जिसकी पुष्टि हिंदू ग्रंथ करते है ।
मेगास्ठेनेस जो यूनानी लेखक था और चंद्रगुप्त मौर्य के काल में भारत आया था ,वह लिखता की  मथुरा में 'हेराकल्स' नाम के देवता की पूजा होती है और हेराकल्स श्री कृष्ण का यूनानी नाम है ।
मौर्य,ग्रेसो बक्ट्रिया ,शक , हिंद पार्थिया और कुषाण यह बोद्ध वंश थे जो मथुरा पर राज करते थे ।
कुषाणों ने नागवंशियो को अपना सामंत नियुक्त किया और कुषाणों के पतन के वक़्त यह नागवंशी स्वतंत्र हुए और मथुरा पर इन्होने राज किया ।
यह नागवंशी भारशिव कहलाये और ये शिव भक्त थे ,वाकातक ताम्र पत्र अनुसार भारशिवो ने खुदको गंगा के पवित्र जल से शुद्ध किया था और काशी में 10 अश्वमेध यज्ञ किये थे ।
वायु पुराण अनुसार 7 नागवंशी पाटलिपुत्र पर राज करेंगे गुप्ताओ से पहले ।
पुष्यमित्र शुंग के बाद भारशिवो ने अश्वमेध यज्ञ किया जो बोद्ध राज में बंद हो गया था ।
भारशिवो ने मथुरा को राजधानी बनाई थी और फिर धीरे धीरे अपने पडोसी राज्यों को जीतते गए जो बोद्ध बन गए थे ।
भारशिव वंश के पहले राजा वीरसेन के सिक्के पंजाब और उत्तर प्रदेश में मिलते है और उनमे लक्ष्मी और नंदी की तस्वीर है ।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार वीरसेन नागवंशी नहीं था साथ ही भारशिव राजाओ के नामो पर भी विवाद है क्युकी भारशिवो के कई सिक्को पर राजाओ के नाम स्पष्ट नहीं नज़र आते साथ ही विष्णु पुराण अनुसार मथुरा ,पद्मावती (आज के ग्वालियर में ) और कांतिपुर ( आज के मिर्ज़ापुर में ) 9 नागवंशी राजा राज करेंगे
हमें पद्मावती में 9 नाग राजाओ के सिक्के मिलते है जो और विवाद खड़ा करता है ।
पर वीरसेन के सिक्को और वायु पुराण अनुसार मैंने भारशिवो के साम्राज्य का नक्षा बनाया है जो पूरी गंगा घाटी में फैला था ।
न केवल मथुरा बल्कि पाटलिपुत्र को भी भारशिवो ने यूनानी बोद्ध राजाओ से आजाद कराया था ।
कुषाणों के यूनानी सामंत कुषाण वंश के पतन के बाद भी वहा राज कर रहे थे पर भारशिवो ने उन्हें भी परास्त किया ।
भारशिवो के बाद गुप्त वंश का राज आया ,वे भी वैदिक थे पर हर धर्म का सम्मान करते थे ।
समुद्र गुप्त और चंद्र गुप्त (द्वितीय) के अधीन गुप्त साम्राज्य ने पुरे भारत में हिंदू धर्म फैलाया ।
उनकी निति धर्म विजय की थी जिसके अनुसार वे किसी राज्य को जीतते पर उसे स्वतंत्र करते लेकिन कर या टैक्स लेते है ,और यदि समुद्र गुप्त और चंद्र गुप्त धर्मविजय का मार्ग न अपनाते तो उनका साम्राज्य मौर्य साम्राज्य से भी बड़ा होता ।
पर स्कंद गुप्त के बाद जो गुप्त राजा हुए उन्होंने बोद्ध धर्म अपना लिया था ,लेकिन उन गुप्त राजाओ का राज्य केवल बिहार और बुंदेलखंड तक ही था ,साथ ही यशोधर्म ,राष्ट्रकूट आदि कई बड़े हिंदू राजा अपना प्रभुत्व कायम कर चुके थे गुप्त काल के अंतिम दिनों में ।
दक्षिण में भी बोद्ध धर्म अपने पैर जमा चूका था कलाभ्रस के राज में ।
300 इसवी तक दक्षिण पर चोल,चेर और पांड्यन वंश राज करते थे पर तब कलाभ्रस वंश का उदय हुआ जिसने इन दिनों वंश को अपने अधीन कर लिया ।
कलाभ्रस बोध थे और दक्षिण के हिंदू राजाओ द्वारा ब्राह्मणों को मिली जमीं उन्होंने छीन ली थी वो भी जबरन जो की सही नहीं था क्युकी किसी की जमीं छीन लेना गलत है ।
नेदुजदैयन नाम के पांड्यन वंश के एक अभिलेख से इसकी पुष्टि होती है ।
कलाभ्रस के अंतिम राजा हिंदू बन गए और दुबारा चोल,चेरा और पांड्यन वंश उदय हुआ और दक्षिण में फिरसे हिंदू राज आया ।

जय माँ भारती

13 comments:

  1. एक समझ नही आता है यह वैदिक का सनातन या हिन्दू नामकरण किसने किया है??

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    1. Hindu Dharm ka koi naam nahi hai,aur naa hi Religion naam ka koi concept tha. Yah to angrejo ke aane ke baad shuru hua.

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    2. musalman dharam sabse suar dharam tha ab aap andaja lagao ki shri krishna ji ki puja us time hoti thi yani ki baudh ke time me, hindu ka arth abhi bahut se log nahi jante honge par agar aap hindu ho to hindu hi raho dharam badlna kayrata hoti he

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  2. एक समझ नही आता है यह वैदिक का सनातन या हिन्दू नामकरण किसने किया है??

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  3. Jai Bharti Bhushan Rajbhar jindabad Amar Rahe

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  4. जय भारशिव वीरसेना अमर रहे।

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  5. हर हर महादेव जय भवानी जय भर राजपूत

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  6. जय भर राजभर भारशिव हर हर महादेव

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